● समांतर श्रेढ़ी (A.P.) - संख्याओं की वह सूची जिसमें पहले पद (first term) को छोड़कर शेष सभी पद अपने पद में एक निश्चित संख्या जोड़कर प्राप्त होते हैं।
जैसे - a, a + d, a + 2d, a + 3d, a + 4d .......इसे समांतर श्रेढ़ी का व्यापक रूप (General form) कहते हैं।
● सार्व अंतर (deviation) - समांतर श्रेढ़ी में जो निश्चित संख्या प्रत्येक पद में जोड़कर अगला पद प्राप्त किया जाता है, उसे सार्व अंतर कहा जाता है। समांतर श्रेढ़ी का सार्व अंतर धनात्मक, ऋणात्मक अथवा शून्य भी हो सकता है।
सार्व अंतर (d) = a2 - a1 = a3 - a2 = a4 - a3
● जिस A.P. का अंतिम पद ज्ञात हो, उसे परिमित A.P. (finite A.P.) कहते हैं, और जिस A.P. का अंतिम पद ज्ञात न हो, उसे अपरिमित A.P. (infinite A.P.) कहते हैं।
● A.P. का nवां पद (an) - यदि किसी A.P. में n पद हैं तो an इसका अंतिम पद होता है। A.P. का nवां पद
an = a + (n -1) d
के माध्यम से ज्ञात किया जाता है।
a5 का अर्थ है, A.P. का 5वां पद
● कुछ प्रश्नों को हल करने के लिए पहले दिए गए आँकड़ों (data) से A.P. बनाते हैं फिर जब प्रथम पद (a) और सार्व अंतर (d) ज्ञात हो जाए, तब आगे हल करते हैं।
● परिमित A.P. दी होने पर यदि अंतिम पद से nवां पद ज्ञात करने को कहा जाए तो A.P. को उल्टा कर दो अर्थात अंतिम पद को पहला पद मान लो फिर हल करो।
● A.P. के प्रथम n पदों का जोड़ (Sn) = a + [a + 2d] + [a + 3d] + [a + 4d] + ......[a + (n -1) d]
या
S = n/2 [2a + (n - 1) d]
या
S = n/2 (a + an)
या
S = n/2 (a + l )
●
● A.P. के ज्यादातर प्रश्नों को हल करने में
an = a + (n - 1) d का प्रयोग किया जाता है।
● किसी भी प्रश्न को सूत्र (formula) के माध्यम से हल करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि क्या हमें कोई मान ज्ञात करने के लिए पर्याप्त आँकड़े दिए गए हैं यदि नहीं तो पहले उन सभी आँकड़ों को ज्ञात करो जो सूत्र के लिए पर्याप्त हो।
● A.P. के योग वाले प्रश्नों में n ज्ञात करते हुए सूत्र द्विघातीय समीकरण (quadratic equation) के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जहाँ हमें n का मान ज्ञात करने के लिए गुणनखंड (factors) करने पड़ते हैं। इस प्रकार आपको n के दो मान मिलेंगे जिनमें से एक या दोनों मान सम्भव हो सकते हैं।
● प्रथम n धन पूर्णांकों का योग (Sn) = n/2 (n + 1)
● यदि a, b, c एक A.P बनाते हैं तो
b = (a + c)/2 तथा b को a और c का समांतर माध्य (mean) कहते हैं।
● समांतर श्रेढ़ी (A.P.) का प्रयोग विभिन्न समस्याओं (problems) को हल करने में किया जाता है, जिनमें संख्याओं की सूची में हमें सार्व अंतर समान प्राप्त होता है।
All Mathematics Chapters Notes for 10th standard :-
अध्याय - 1 वास्तविक संख्याए
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म
अध्याय 4 द्विघात समीकरण
अध्याय 5 समांतर श्रेढ़ी
अध्याय 6 त्रिभुज
अध्याय 7 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 8 त्रिकोणमिति का परिचय
अध्याय 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 वृत्तों से संबंधित क्षेत्रफल
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म
अध्याय 4 द्विघात समीकरण
अध्याय 5 समांतर श्रेढ़ी
अध्याय 6 त्रिभुज
अध्याय 7 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 8 त्रिकोणमिति का परिचय
अध्याय 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 वृत्तों से संबंधित क्षेत्रफल
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
 

 
![सांख्यिकी {Statistics} [Chapter 14, Class IX]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_Eie0g-2Q4WFhuq33fcbGc6APTAUgrqjls1icjZOeRuojnetcOlKLR-xFI9kWja-9vZYS968WIH5_w0nlOXC0SN8JiNSQfShnqHpcRjoLAOJ9QcIc48SIXNzPEhiCYgJJGs5dz_smlY0j/s72-c/Statistics+Class+9+CBSE.jpg) 
 Arif Khan is a passionate Tutor & Blogger writes on Educational Topics. He writes CBSE Notes for school students, parents and teachers.
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