बहुपद { Polynomials } [ कक्षा-9, अध्याय-2 ]

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● चर (variable) : चर वह प्रतीक (letter or symbol) होता है जो कोई भी वास्तविक मान धारण कर सकता है। चरों को a,b,c,d......x,y,z आदि से प्रकट (show) किया जाता है।
● अचर (non-variable) : संख्यात्मक मान (numbers) को अचर राशि कहा जाता है।
● एक चर वाले बहुपद (polynomial in one variable) : जिन बहुपदों (polynomial) में केवल एक ही चर राशि का प्रयोग किया जाए एक चर वाले बहुपद कहलाते हैं।


● बहुपद के पद (terms of polynomial) : धन (plus) और ऋण (minus) के चिन्ह पदों को अलग करते हैं, इसके माध्यम से हम पदों को गिनकर बता सकते हैं। जैसे -

2x-5x+7  इस व्यंजक में 2x, -5x और 7 तीन पद हैं।
● बहुपद के प्रत्येक पद का एक गुणांक (coefficient) होता है।
जैसे -
   2x/5+3x-x  में
* पहले पद में x का गुणांक ~  2/5
* दूसरे पद में x का गुणांक ~ 3
* तीसरे पद में x का गुणांक ~ -1
● अचर बहुपद (constant polynomial) : संख्याऐं भी एक प्रकार की बहुपद ही होती हैं। 4, -5, 7, 9, -2 आदि अचर बहुपद के उदाहरण हैं।
● अचर बहुपद शून्य को 'शून्य बहुपद' कहते हैं।
● अगर व्यंजक में चर का घातांक (power) पूर्ण संख्या नहीं होती तो वह व्यंजक 'बहुपद' नहीं हो सकता।
● एक पद वाले बहुपद को एकपदी (monomial), दो पद वाले बहुपद को द्विपदी (binomial) और तीन पद वाले बहुपद को त्रिपदी (trinomial) बहुपद कहते हैं।
● बहुपद में चर की अधिकतम घात वाले पद की घात को 'बहुपद की घात' (degree of polynomial) कहते हैं।
● एक शून्येत्तर (non-zero) अचर बहुपद की घात शून्य होती है।

● एक चर में बहुपद वही व्यंजक होता है जिसमें : -
* चर करणी चिन्ह(Radical Sign) के साथ न हो
* चर की घात पूर्ण संख्या (whole number) हो
* चर किसी भिन्न (fraction) का हर न हो


बहुपद का शून्यक (zero of polynomial)

● किसी भी बहुपद का शून्यक, चर (variable) का वह मान होता है जिसके कारण बहुपद का मान शून्य हो जाता है।
● शून्येतर (non zero) अचर बहुपद का कोई शून्यक नहीं होता।
● प्रत्येक वास्तविक संख्या (real number) शून्य बहुपद का शून्यक होती है।
उदाहरण : क्या 2 और -2 बहुपद x+2 के शून्यक है या नहीं ?
हल : p(x)=x+2
        p(2)=2+2=4
        p(-2)=-2+2=0
अतः-2 बहुपद का शून्यक है परंतु 2 बहुपद का शून्यक नहीं है।
● यह आवश्यक नहीं है कि बहुपद का शून्यक शून्य ही हो।
● शून्य बहुपद का शून्यक हो सकता है।
● प्रत्येक रैखिक बहुपद (linear polynomial) का एक और केवल एक (unique) शून्यक होता है।
● एक बहुपद के एक से अधिक शून्यक हो सकते हैं।
जितनी बहुपद की घात होती है उसके उतने ही शून्यक होते हैं।


शेषफल प्रमेय (remainder theorem) : -

मान लीजिए
a=भाजक (divisor),  b=भाज्य (dividend), c=भागफल (quotient) और d=शेषफल (remainder)
तो  b=a X c+d                     ( स्थिति-1)
जब शेषफल कोई शून्येतर संख्या हो तो a और c भाज्य (b) के गुणनखंड (Factor) नहीं होंगे। अर्थात b, a और c का गुणज (Multiple) नहीं होगा।
b=a X b+0         या         b=a X b         ( स्थिति-2 )
जब शेषफल शून्य हो तब a और c भाज्य (b) के गुणनखंड कहलाते हैं। अर्थात b, a और c का गुणज होता है।
यदि एक बहुपद p(x) को दूसरे बहुपद g(x) से भाग दिया जाए और शेषफल शून्य बचता है तो बहुपद g(x), बहुपद p(x) का गुणनखंड कहलाता है।
गुणनखंड प्रमेय (factor theorem) : यदि एक बहुपद का शून्यक दूसरे बहुपद का शून्यक है तो छोटा वाला बहुपद बड़े वाले बहुपद का गुणनखंड होता है।


द्विघात बहुपद के गुणनखंड (factors of quadratic polynomial) : -

*  द्विघात बहुपद में तीन पद होते हैं ( माना a,b,c)
* पहले पद (a) को तीसरे पद (c) से गुणा करो।
* गुणनफल से प्राप्त अचर के सभी गुणनखंड प्राप्त करो।
* प्राप्त गुणनखंडों में से दो गुणनखंडों का ऐसा युग्म (pair) लिजिए जिसका गुणनफल (product) a और c के गुणनफल के बराबर हो और साथ ही उनका योग (sum) मध्यपद (middle term) के अचर पद के बराबर हो।
* अब हमें 4 पद प्राप्त होते हैं।
* पहले दो पदों से उभयनिष्ठ गुणनखंड (common factor) पद को छाँटकर कोष्ठक (bracket) के बाहर लिखेंगे और जो बचेगा उसे कोष्ठक के अंदर लिखेंगे।
* ये ही क्रिया अगले दो पदों के साथ की जायेगी।
* अब दोनों कोष्ठकों में आपको समान पद (same terms) मिलेंगे।
* चूँकि दोनों कोष्ठकों में समान पद प्राप्त होते हैं तो हम इसे अब एक बार लिखेंगे अलग कोष्ठक में और दूसरे कोष्ठक में वे दोनों सर्वनिष्ठ पद जो कोष्ठकों के बाहर लिखे हुए हैं।
* ये ही बहुपद के गुणनखंड हैं।

त्रिघात बहुपद के गुणनखंड (factors of cubic polynomial): -


* त्रिघात बहुपद में चार पद होते हैं (माना a,b,c और d
*पहला (a) और चौथा (d)पद अपरिवर्तित (as it is) रहेंगे।
* तीसरे पद को दो भागों में विभाजित (split) किया जायेगा। तीसरे पद के दाएँ पद का अचर भाग चौथे पद के अचर पद के बराबर होना चाहिए। शेष भाग बायाँ पद होता है।
* अब बहुपद के दूसरे पद (b) को भी दो भागों में विभाजित किया जायेगा। दाएँ पद का अचर भाग उससे अगले पद के अचर भाग के बराबर होना चाहिए बाकि बायाँ पद होगा।
* इस प्रकार हमें 6 पदों वाला एक बहुपद प्राप्त होता है।
* अब फिर वही क्रिया अपनाएँगे जो द्विघात बहुपद के गुणनखंड ज्ञात करने के लिए की थी। दो-दो पद लेकर और सर्वनिष्ठ पद छाँटकर लिखते जाएँगे।
* तीनों कोष्ठकों में समान पद प्राप्त होते हैं। जिसे हम अलग कोष्ठक में एक ही बार लिखेंगे। दूसरे कोष्ठक में सर्वनिष्ठ पदों को लिखेंगे जोकि एक द्विघात बहुपद होगा।
* इस द्विघात बहुपद के फिर से गुणनखंड करेंगे जैसे हमने पहले किये थे।
* इस प्रकार हमें गुनखण्ड के रूप में तीन कोष्ठक प्राप्त होते हैं।
गुणनखंड की जाँच (factor check) : -
यदि आपसे प्रश्न किया जाये की बहुपद g(x) बहुपद p(x) का गुणनखंड है या नहीं तो इसकी जाँच करने के लिए -
आपको g(x) से p(x) में भाग देना होगा। यदि शेष बचता है तो g(x), p(x) का गुणनखंड नहीं होगा। और यदि शेष शून्य हो जाता है यानि शेष नहीं बचता तो g(x), p(x) का गुणनखंड होगा।
कुछ विशेष सर्वसमिकाएं (Identities) होती हैं जिनके माध्यम से बहुपदों के गुणनफल और गुणनखंड प्राप्त किये जाते हैं। इनका याद रखना विद्यार्थी के लिए बेहद जरूरी (necessary) है।



All Chapters Notes in Hindi Maths Class 9th


अध्याय 1 संख्या पद्धति
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण
अध्याय 5 यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय
अध्याय 6 रेखाएँ और कोण
अध्याय 7 त्रिभुज
अध्याय 8 चतुर्भुज
अध्याय 9 समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 हीरोन का सूत्र
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता

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