● त्रिभुज (triangle) - तीन प्रतिच्छेदी रेखाओं (interesting lines) से बनी बन्द आकृति त्रिभुज कहलाती है।
● प्रत्येक त्रिभुज में तीन भुजाएँ (sides), तीन कोण (angels) तथा तीन शीर्ष (vertices) होते हैं।
● सर्वांगसम आकृतियाँ (congruent shared) - वे आकृतियाँ जिनके आकार (size) और माप (measure) समान होते हैं। सर्वांगसम का अर्थ है 'सारे अंग समान'
● बराबर त्रिज्या/व्यास वाले वृत्त, बराबर भुजा वाले वाले वर्ग सर्वांगसम होते हैं।
● दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता को सांकेतिक रूप में प्रदर्शित करने के लिए उनके शीर्षो की संगतता (correspondence) को उचित ढंग से (properly) लिखना अनिवार्य होता है।
● सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत (corresponding) भाग समान होते हैं, इसे संक्षेप में CPCT (Congruent Parts of Congruent Triangles) लिखते हैं।
* SAS सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों की दो भुजाएँ और उनके अंतर्गत अंतरित (subtended) कोण बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज SAS सर्वांगसमता नियम (SAS congruence criterion) से सर्वांगसम होते हैं।
* ASA सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों के दो कोण और उनके अंतर्गत भुजा बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज ASA सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
* SSS सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों की तीनों भुजाएँ बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज SSS सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
* AAS सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों के दो कोण और कोई एक संगत भुजा बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज AAS सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
* RHS सर्वांगसम नियम - यदि दो समकोण त्रिभुजों के कर्ण (hypotenuse) और लंब (perpendicular) या आधार (base) बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज RHS सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
नोट : AAS सर्वांगसमता नियम लगभग RHS सर्वांगसमता नियम के समान ही है।
● दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता सिद्ध (prove) करने के लिए दोनों त्रिभुजों के तीन भाग बराबर होने चाहिए परन्तु तीनों कोणों का बराबर होना पर्याप्त (sufficient) नहीं है। त्रिभुजों की सर्वांगसमता सिद्ध करने के लिए तीन बराबर भागों में से कम से कम एक बराबर भाग भुजा (side) होना चाहिए।
● समद्विबाहु त्रिभुज (isosceles triangle) - जिस त्रिभुज की दो भुजाएँ बराबर हों, समद्विबाहु त्रिभुज कहलाता है।
● समद्विबाहु त्रिभुज की समान भुजाओं के सम्मुख कोण (opposite angles) बराबर होते हैं।
● यदि किसी त्रिभुज के दो कोण बराबर हों, तो सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होंगी। यह एक समद्विबाहु त्रिभुज होगा।
● किसी भी बंद आकृति (closed shape) में सबसे बड़ी भुजा के सम्मुख सबसे बड़ा कोण होता है और छोटी भुजा के सम्मुख छोटा कोण होता है।
● त्रिभुज के बड़े कोण के सम्मुख त्रिभुज की बड़ी भुजा होती है।
● त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं का योग (sum) सदैव तीसरी भुजा से अधिक होता है।
● समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° का होता है, और उसकी तीनों भुजाएँ बराबर होती हैं।
● प्रत्येक त्रिभुज में तीन भुजाएँ (sides), तीन कोण (angels) तथा तीन शीर्ष (vertices) होते हैं।
● सर्वांगसम आकृतियाँ (congruent shared) - वे आकृतियाँ जिनके आकार (size) और माप (measure) समान होते हैं। सर्वांगसम का अर्थ है 'सारे अंग समान'
● बराबर त्रिज्या/व्यास वाले वृत्त, बराबर भुजा वाले वाले वर्ग सर्वांगसम होते हैं।
● दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता को सांकेतिक रूप में प्रदर्शित करने के लिए उनके शीर्षो की संगतता (correspondence) को उचित ढंग से (properly) लिखना अनिवार्य होता है।
● सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत (corresponding) भाग समान होते हैं, इसे संक्षेप में CPCT (Congruent Parts of Congruent Triangles) लिखते हैं।
Congruence criteria for Triangles
● दो त्रिभुज केवल तभी सर्वांगसम हो सकते हैं, यदि निम्न स्थिति सत्यापित हो -* SAS सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों की दो भुजाएँ और उनके अंतर्गत अंतरित (subtended) कोण बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज SAS सर्वांगसमता नियम (SAS congruence criterion) से सर्वांगसम होते हैं।
* ASA सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों के दो कोण और उनके अंतर्गत भुजा बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज ASA सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
* SSS सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों की तीनों भुजाएँ बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज SSS सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
* AAS सर्वांगसमता नियम - यदि दो त्रिभुजों के दो कोण और कोई एक संगत भुजा बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज AAS सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
* RHS सर्वांगसम नियम - यदि दो समकोण त्रिभुजों के कर्ण (hypotenuse) और लंब (perpendicular) या आधार (base) बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज RHS सर्वांगसमता नियम से सर्वांगसम होते हैं।
नोट : AAS सर्वांगसमता नियम लगभग RHS सर्वांगसमता नियम के समान ही है।
● दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता सिद्ध (prove) करने के लिए दोनों त्रिभुजों के तीन भाग बराबर होने चाहिए परन्तु तीनों कोणों का बराबर होना पर्याप्त (sufficient) नहीं है। त्रिभुजों की सर्वांगसमता सिद्ध करने के लिए तीन बराबर भागों में से कम से कम एक बराबर भाग भुजा (side) होना चाहिए।
● समद्विबाहु त्रिभुज (isosceles triangle) - जिस त्रिभुज की दो भुजाएँ बराबर हों, समद्विबाहु त्रिभुज कहलाता है।
● समद्विबाहु त्रिभुज की समान भुजाओं के सम्मुख कोण (opposite angles) बराबर होते हैं।
● यदि किसी त्रिभुज के दो कोण बराबर हों, तो सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होंगी। यह एक समद्विबाहु त्रिभुज होगा।
● किसी भी बंद आकृति (closed shape) में सबसे बड़ी भुजा के सम्मुख सबसे बड़ा कोण होता है और छोटी भुजा के सम्मुख छोटा कोण होता है।
● त्रिभुज के बड़े कोण के सम्मुख त्रिभुज की बड़ी भुजा होती है।
● त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं का योग (sum) सदैव तीसरी भुजा से अधिक होता है।
● समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° का होता है, और उसकी तीनों भुजाएँ बराबर होती हैं।
All Chapters Notes in Hindi Maths Class 9th
अध्याय 1 संख्या पद्धति
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण
अध्याय 5 यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय
अध्याय 6 रेखाएँ और कोण
अध्याय 7 त्रिभुज
अध्याय 8 चतुर्भुज
अध्याय 9 समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 हीरोन का सूत्र
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण
अध्याय 5 यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय
अध्याय 6 रेखाएँ और कोण
अध्याय 7 त्रिभुज
अध्याय 8 चतुर्भुज
अध्याय 9 समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 हीरोन का सूत्र
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
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