● बहुपद - बहुपद एक व्यंजक होता जिसमें एक या एक से अधिक पद हो सकते हैं। वैसे बहुपद का शाब्दिक अर्थ होता है 'बहुत सारे पद'।
● सभी बहुपद, व्यंजक हो सकते हैं परंतु सभी व्यंजक, बहुपद नहीं हो सकते।
● कोई व्यंजक, बहुपद नहीं होता यदि -
* चर पर करणी चिन्ह (Root) लगा हो।
* चर किसी संख्या का हर हो।
* चर की घात ऋणात्मक न हो।
● बहुपद की घात - बहुपद में सबसे बड़ी घात, बहुपद की घात होती है।
● रैखिक बहुपद - जिस बहुपद की घात 1 हो।
रैखिक बहुपद का व्यापक रूप इस प्रकार का होता है ax + b (a और b वास्तविक संख्याएँ हैं और a शून्य नहीं है।)
● द्विघात बहुपद - जिस बहुपद की घात 2 हो।
द्विघात बहुपद का व्यापक रूप इस प्रकार का होता है ax2 +bx + c (a,b और c वास्तविक संख्याएँ हैं और a शून्य नहीं है।)
● त्रिघात बहुपद - जिस बहुपद की घात 3 हो।
त्रिघात बहुपद का व्यापक रूप इस प्रकार का होता है ax3 + bx2 + cx + d (a,b, c और d वास्तविक संख्याएँ हैं और a शून्य नहीं है।)
● शून्यक - बहुपद में चर का वह मान जिसको बहुपद में प्रतिस्थापित करने पर, पुरे बहुपद का मान शून्य हो जाता है।
● किसी बहुपद का ग्राफ x-अक्ष को जितनी जगह पर प्रतिच्छेद करता है, उस बहुपद के उतने ही शून्यक होते हैं और जिन बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करता है वे ही बहुपद के शून्यक होते हैं।
● द्विघात बहुपद में : -
* शून्यकों का योग = -(x का गुणांक)/x2 का गुणांक
* शून्यकों का गुणनफल = अचर पद/x2 का गुणांक
● त्रिघात बहुपद में : -
* शून्यकों का योग = -(x2 का गुणांक)/x3 का गुणांक
* शून्यकों का गुणनफल = -अचर पद/x3 का गुणांक
* माना A, B और Y किसी त्रिघात बहुपद के शून्यक है, तो इनमें यह सम्बन्ध होता है -
AB + BC + CA = x का गुणांक/x3 का गुणांक
●किसी अज्ञात बहुपद के शून्यकों का योग और गुणनफल दिया होने पर, बहुपद ज्ञात किया जा सकता है।
● बहुपद के शून्यकों की सत्यता की जाँच के लिए, दिए गए शून्यक को x की जगह प्रतिस्थापित करने पर यदि बहुपद का मान शून्य आ जाए तो शून्यक है अन्यथा नहीं है।
● यदि किसी बहुपद g(x) से बहुपद p(x) को भाग देने पर शेष शून्य आ जाए तो बहुपद g(x) बहुपद p(x) का एक गुणनखंड होता है।
● यदि g(x) और p(x) कोई दो बहुपद हैं जहाँ g(x) शून्य नहीं है, तो हम g(x) से p(x) को भाग देकर ऐसे बहुपद q(x) और r(x) ज्ञात कर सकते हैं कि -
p(x) = g(x) + q(x) + r(x)
(जहाँ r(x) = 0 या r(x) की घात < g(x) की घात है।)
इस निष्कर्ष को बहुपदों विभाजन एल्गोरिथ्म कहा जाता है।
● किसी बहुपद का एक शून्यक ज्ञात हो तो हम दूसरा शून्यक उसी शून्यक से बहुपद में भाग देकर भागफल के रूप में ज्ञात करते हैं।
● किसी बहुपद के दो या दो से अधिक शून्यक ज्ञात हो तो हम अन्य शून्यक ज्ञात कर सकते हैं। पहले दिए गए शून्यकों का गुणनफल ज्ञात करो और गुणनफल से बहुपद में भाग करो और भागफल के गुणनखंड करके अन्य शून्यक ज्ञात करो।
● किसी बहुपद p(x) के शून्यक उन बिंदुओं के x-निर्देशांक होते हैं जहाँ y = p(x) का ग्राफ x-अक्ष को प्रतिच्छेद करता है।
● किसी बहुपद के अधिकतम शून्यक बहुपद की घात के बराबर होते हैं।
● सभी बहुपद, व्यंजक हो सकते हैं परंतु सभी व्यंजक, बहुपद नहीं हो सकते।
● कोई व्यंजक, बहुपद नहीं होता यदि -
* चर पर करणी चिन्ह (Root) लगा हो।
* चर किसी संख्या का हर हो।
* चर की घात ऋणात्मक न हो।
● बहुपद की घात - बहुपद में सबसे बड़ी घात, बहुपद की घात होती है।
● रैखिक बहुपद - जिस बहुपद की घात 1 हो।
रैखिक बहुपद का व्यापक रूप इस प्रकार का होता है ax + b (a और b वास्तविक संख्याएँ हैं और a शून्य नहीं है।)
● द्विघात बहुपद - जिस बहुपद की घात 2 हो।
द्विघात बहुपद का व्यापक रूप इस प्रकार का होता है ax2 +bx + c (a,b और c वास्तविक संख्याएँ हैं और a शून्य नहीं है।)
● त्रिघात बहुपद - जिस बहुपद की घात 3 हो।
त्रिघात बहुपद का व्यापक रूप इस प्रकार का होता है ax3 + bx2 + cx + d (a,b, c और d वास्तविक संख्याएँ हैं और a शून्य नहीं है।)
● शून्यक - बहुपद में चर का वह मान जिसको बहुपद में प्रतिस्थापित करने पर, पुरे बहुपद का मान शून्य हो जाता है।
● किसी बहुपद का ग्राफ x-अक्ष को जितनी जगह पर प्रतिच्छेद करता है, उस बहुपद के उतने ही शून्यक होते हैं और जिन बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करता है वे ही बहुपद के शून्यक होते हैं।
● द्विघात बहुपद में : -
* शून्यकों का योग = -(x का गुणांक)/x2 का गुणांक
* शून्यकों का गुणनफल = अचर पद/x2 का गुणांक
● त्रिघात बहुपद में : -
* शून्यकों का योग = -(x2 का गुणांक)/x3 का गुणांक
* शून्यकों का गुणनफल = -अचर पद/x3 का गुणांक
* माना A, B और Y किसी त्रिघात बहुपद के शून्यक है, तो इनमें यह सम्बन्ध होता है -
AB + BC + CA = x का गुणांक/x3 का गुणांक
●किसी अज्ञात बहुपद के शून्यकों का योग और गुणनफल दिया होने पर, बहुपद ज्ञात किया जा सकता है।
● बहुपद के शून्यकों की सत्यता की जाँच के लिए, दिए गए शून्यक को x की जगह प्रतिस्थापित करने पर यदि बहुपद का मान शून्य आ जाए तो शून्यक है अन्यथा नहीं है।
● यदि किसी बहुपद g(x) से बहुपद p(x) को भाग देने पर शेष शून्य आ जाए तो बहुपद g(x) बहुपद p(x) का एक गुणनखंड होता है।
● यदि g(x) और p(x) कोई दो बहुपद हैं जहाँ g(x) शून्य नहीं है, तो हम g(x) से p(x) को भाग देकर ऐसे बहुपद q(x) और r(x) ज्ञात कर सकते हैं कि -
p(x) = g(x) + q(x) + r(x)
(जहाँ r(x) = 0 या r(x) की घात < g(x) की घात है।)
इस निष्कर्ष को बहुपदों विभाजन एल्गोरिथ्म कहा जाता है।
● किसी बहुपद का एक शून्यक ज्ञात हो तो हम दूसरा शून्यक उसी शून्यक से बहुपद में भाग देकर भागफल के रूप में ज्ञात करते हैं।
● किसी बहुपद के दो या दो से अधिक शून्यक ज्ञात हो तो हम अन्य शून्यक ज्ञात कर सकते हैं। पहले दिए गए शून्यकों का गुणनफल ज्ञात करो और गुणनफल से बहुपद में भाग करो और भागफल के गुणनखंड करके अन्य शून्यक ज्ञात करो।
● किसी बहुपद p(x) के शून्यक उन बिंदुओं के x-निर्देशांक होते हैं जहाँ y = p(x) का ग्राफ x-अक्ष को प्रतिच्छेद करता है।
● किसी बहुपद के अधिकतम शून्यक बहुपद की घात के बराबर होते हैं।
All Mathematics Chapters Notes for 10th standard :-
अध्याय - 1 वास्तविक संख्याए
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म
अध्याय 4 द्विघात समीकरण
अध्याय 5 समांतर श्रेढ़ी
अध्याय 6 त्रिभुज
अध्याय 7 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 8 त्रिकोणमिति का परिचय
अध्याय 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 वृत्तों से संबंधित क्षेत्रफल
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
अध्याय 2 बहुपद
अध्याय 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म
अध्याय 4 द्विघात समीकरण
अध्याय 5 समांतर श्रेढ़ी
अध्याय 6 त्रिभुज
अध्याय 7 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 8 त्रिकोणमिति का परिचय
अध्याय 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 वृत्तों से संबंधित क्षेत्रफल
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
कोई टिप्पणी नहीं
Thanks for your comments !