क्या हमारे आस पास के पदार्थ शुद्ध हैं? [Class 9, Chapter 3]

Share:
● पदार्थ - एक तरह का द्रव्य जिसे भौतिक प्रक्रमों द्वारा अलग नहीं किया जा सकता।
● पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं - ठोस, द्रव और गैस

● शुद्ध पदार्थ - जो पदार्थ एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है, शुद्ध पदार्थ कहलाता है। शुद्ध पदार्थ में सभी तत्व और यौगिक आते हैं।
● मिश्रण - दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों से मिलकर बना हुआ पदार्थ मिश्रण कहलाता है।
● मिश्रण दो प्रकार के होते हैं - समांगी मिश्रण व विषमांगी मिश्रण
● समांगी मिश्रण - वे मिश्रण जिनमें पदार्थ पूर्ण रूप से मिले हुए होते हैं और एक दूसरे से अविभेद्य होते हैं, समांगी मिश्रण कहलाते हैं। 
● विषमांगी मिश्रण - जिस मिश्रण में पदार्थ अलग-अलग रहते हैं और दूसरे पदार्थ में हर जगह फैले रहते हैं, विषमांगी कहलाते हैं।
● विलयन - दो या दो से अधिक पदार्थों के समांगी मिश्रण को विलयन कहते हैं। विलयन, विलेय और विलायक को परस्पर मिलाने से बनते हैं।
● विलेय - जिस घुलनशील पदार्थ को किसी द्रव में मिलाकर घोला जाता है, उसे विलेय कहते हैं।
● विलायक - जिस द्रव में घुलनशील पदार्थ को मिलाया जाता है उसे विलायक कहते हैं।
● विलयन के प्रकार - वास्तविक विलयन, कोलाइडल विलयन और निलम्बन
● हवा में गैस कोलाइडल विलयन नहीं होता इसलिए हवा एक मिश्रण है।
■ मिश्रण से पदार्थों को अलग करने की विधियाँ -

● वाष्पीकरण - मिश्रण के पदार्थों में से एक पदार्थ जिसका क्वथनांक दूसरे से कम होता है, वह वाष्पीकृत होकर उड़ जाता है।
● अपकेंद्रीकरण - जब मिश्रण को तेजी से घुमाया जाता है तो भारी कण नीचे की ओर दबाव डालते हैं और हल्के कण ऊपर की ओर चले जाते हैं।
● पृथक्करण कीप - दो अघुलनशील द्रवों को पृथक्करण कीप से सरलता से अलग किया जा सकता है। पृथक्करण कीप का स्टॉप कार्क खोलने से नीचे वाला द्रव अलग बीकर में चला जाता है और ऊपर वाला द्रव कीप में रह जाता है।
● उर्ध्वपातन विधि - दो पदार्थों के मिश्रण को जब गर्म किया जाता है तो एक पदार्थ उर्ध्वपातित हो जाता है अर्थात सीधे ठोस से गैस में बदलकर उड़ जाता है जबकि दूसरा शेष रह जाता है।
● क्रोमेटोग्राफी - मिश्रण से रंगीन यौगिक, रंजित कणों को अलग किया जा सकता है। जब पानी या किसी भी अन्य द्रव के कण ऊपर की ओर भिन्न-भिन्न रंगों के साथ जाते हैं तो क्रोमेटोग्राफी पेपर द्वारा दोनो अलग हो जाते हैं क्योंकि दोनों रंग अलग-अलग गति से सोख लिए जाते हैं।
● आसवन विधि - जब दो या दो से अधिक घुलनशील संघटको/द्रवों के बीच का क्वथनांक दूसरे से कम होता है, तब इन्हें आसवन विधि से अलग करते हैं। कम क्वथनांक वाला द्रव वाष्पित होकर दूसरे ट्यूब/बीकर में जाकर फिर से द्रव बन जाता है और अधिक क्वथनांक वाला द्रव उसी बीकर में रहता है।
● प्रभाजी आसवन विधि - जब दो सघटकों से अधिक संघटक एक ही द्रव में द्रव में विद्यमान होते हैं (जिनका क्वथनांक अलग-अलग होता है) तब प्रभाजी आसवन विधि से सभी संघटकों को पृथक किया जाता है। उदाहरण - हवा और पेट्रोलियम

● क्रिस्टलीकरण - मिश्रण से अशुद्धियों को अलग करने के लिए पहले अशुद्ध मिश्रण के क्रिस्टल को उचित विलयन में घोलकर उसे गर्म करके विलयन अलग किया जाता है। और फिर उसे कुछ घण्टो तक रखकर छोड़ दिया जाने पर शुद्ध क्रिस्टल बनते हैं। विलयन को फिल्टर पेपर से छान लिया जाता है और शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं।
● क्रिस्टलीकरण को वाष्पीकरण से अधिक बेहतर विधि माना जाता है क्योंकि -
- कुछ ठोस विघटित हो जाते हैं अर्थात जब मिश्रण को गर्म किया जाता है तो कुछ ठोस चीनी की तरह झुलस जाते हैं।
- छानने के बावजूद भी अशुद्ध विलेय पदार्थ को विलायक में घोलने पर विलयन में कुछ अशुद्धियाँ रह सकती हैं। वाष्पीकरण होने पर ये अशुद्धियाँ ठोस को गंदा कर सकती हैं।
■ भौतिक परिवर्तन
● उत्क्रमणीय होता है।
● नया पदार्थ नहीं बनता।
● बहुत कम मात्रा में उष्मीय या प्रकाशीय ऊर्जा अवशोषित की या निष्कासित की जाती है।
■ रासायनिक परिवर्तन
● अनुत्क्रमणीय होता है।
● नया पदार्थ बनता है।
● बड़ी मात्रा में उष्मीय या प्रकाशीय ऊर्जा अवशोषित की या निष्कासित की जाती है।

● तत्व - वह शुद्ध पदार्थ जिसे न तो साधारण पदार्थों में तोड़ा जा सकता और न ही किसी ज्ञात भौतिक व रासायनिक क्रिया द्वारा साधारण पदार्थों से बनाया जा सकता, उसे तत्व कहते हैं।
● तत्व एक ही प्रकार के अणुओं से मिलकर बने होते हैं।
● तत्व के तीन प्रकार हैं - धातु, अधातु और उपधातु
● धातुएँ चमकदार, आघातवर्ध्य, तन्य, ध्वनिक/सोनेरस, ऊष्मा और विद्युत की सुचालक होती हैं। जैसे सोना, लोहा, ताँबा।

● अधातुएँ चमकदार, आघातवर्ध्य, तन्य, ध्वनिक/सोनेरस नहीं होती। ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती हैं। जैसे ऑक्सीजन और फॉस्फोरस।
● उपधातु - जो तत्व धातु और अधातु के बीच के गुणों को दर्शाते हैं, उपधातु कहलाते हैं। जैसे बोरोन, सिलिकॉन जर्मेनियम।
■ मिश्रण की विशेषताएं
● तत्व या यौगिक केवल मिश्रण बनाने के लिए मिलते हैं। कोई नया पदार्थ निर्मित नहीं होता।
● संघटन परिवर्तनीय होता है।
● सभी घटक अपने गुणधर्मों को दर्शाते हैं।
● सारे घटकों को भौतिक विधियों द्वारा सुगमता/आसानी से पृथक किया जा सकता है।
■ यौगिक की विशेषताएं
● नया पदार्थ निर्मित होता है।
● नए पदार्थ का संघटन स्थाई होता है। अपने द्रव्यमान के अनुसार एक निश्चित अनुपात में ही एक साथ मिलते हैं।
● नए पदार्थ के गुणधर्म पूर्ण रूप से अलग होते हैं।
● घटको को केवल रासायनिक या वैद्युत रासायनिक प्रक्रिया द्वारा अलग किया जा सकता है।


● स्थिर अनुपात का नियम - रासायनिक यौगिक, द्रव्यमान के अनुसार सदैव समान अनुपात में परस्पर संयुक्त समान तत्वों का बना होता है।
● द्रव्यमान संरक्षण का नियम - किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान का निर्माण होता है और न ही विनाश होता है।

कोई टिप्पणी नहीं

Thanks for your comments !