अध्याय 1 हमारे आस पास के पदार्थ (Matters Around us)

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● विश्व की सारी वस्तुएँ जिस चीज से बनी हैं, वैज्ञानिक उसे पदार्थ कहते है। अन्य शब्दों में, जिन चीजें का द्रव्यमान होता है और स्थान घेरती है, पदार्थ कहलाती है | जैसे- मिट्टी, प्लास्टिक, लोहा, लकड़ी, तांबा आदि।
● भारत के प्राचीनकालीन दार्शनिकों के अनुसार पदार्थ पंचतत्व वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश से बनते है और पदार्थ को इन्ही पंचतत्वो में वर्गीकृत किया जाता है |
● पदार्थ कणों के परस्पर मिलने से बनते हैं।
● पदार्थों के कण बहुत छोटे होते है | इन्हें नग्न आंखों से नही देखा जा सकता।
● पदार्थ के कणों के बीच में रिक्त स्थान होता है, जिसे रन्ध्र या रंध्रावकाश भी कहते हैं|
● पदार्थ के कणों में  निरंतर गति होती रहती हैं |
● पदार्थ के कणों के बीच आकर्षण बल होता है, जिसे अंतराणुक बल भी कहते हैं। इस बल के कारण पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
● पदार्थ के कणों में गतिज ऊर्जा विद्यमान होती है और तापमान बढ़ने पर कणों की गति और तेज हो जाती है |
● दो अलग-अलग पदार्थों के कणों का अपने-आप मिल जाना विसरण कहलाता है |
● प्रत्येक पदार्थ में अंतराणुक बल अलग-अलग होता है इसी अंतर के कारण पदार्थ की विभिन्न अवस्थाएं बनती है |
● पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं - ठोस, द्रव और गैस | पदार्थ की ये अवस्थाएँ उनके कणों की विभिन्न विशेषताओं के कारण होती हैं |
● ठोस का आकार और आयतन दोनों निश्चित होते हैं। ठोस पदार्थ बल लगाने पर  टूट सकते हैं लेकिन इनका आकार नहीं बदलता |
● द्रव का आकार का निश्चित नहीं होता है जिस बर्तन में इसे रखा जाता है ये उसी का आकार ले लेता है, परन्तु द्रव का आयतन निश्चित होता है |
● गैस का न तो आकार निश्चित होता और न आयतन।
● द्रव में ठोस, द्रव और गैस तीनों का विसरण हो जाता है |
● गैसों की संपीड्यता (Compression) ठोस तथा द्रव की अपेक्षा ज्यादा होती है |
● पदार्थ की अवस्थाएं तापमान या दाब में परिवर्तन करके बदली जा सकती है |
◆ जितने तापमान पर कोई ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है, वह तापमान उस पदार्थ का गलनांक (Melting Point) कहलाता है | गलनांक को संगलन भी कहते है |
● जब तक कोई पदार्थ पूर्ण रूप से गल नहीं जाता, तापमान नहीं बदलता है | चाहे उसमें और भी ऊष्मा दे दी जाए | पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन हो सके इसके लिए पदार्थ के कणों के आकर्षण बल को बदलने के लिए तापमान में बिना कोई वृद्धि दर्शाए पदार्थ उस अतिरिक्त ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है | यह ऊष्मा पदार्थ में पहले से ही विद्यमान रहती है, जिसे गुप्त ऊष्मा कहते हैं |
● वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की जरूरत होती है, उसे संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहा जाता है |
● वायुमंडलीय दाब पर जितने तापमान  पर द्रव उबलने लगता है, इस ताप को उस पदार्थ का क्वथनांक (Boiling Point) कहते है | जल का क्वथनांक 100 ०C या 373 K है |
● ठोस अवस्था से द्रव अवस्था मे न आकर सीधे गैस में बदलने की प्रक्रिया को उर्ध्वपातन (sublimation) कहते है |
● पदार्थ के कणों के बीच दूरी कम-ज्यादा होने के कारण पदार्थ की अलग-अलग अवस्थाएँ बनती हैं |
● ठोस CO2 (शुष्क बर्फ) द्रव अवस्था में न आकर सीधे गैस में परिवर्तित होती है | इसलिए ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्क बर्फ़ (Dry ice) कहते हैं |
● दाब में वृद्धि और तापमान में कमी से गैस द्रव में बदल जाती है।
● द्रव का  क्वथनांक से कम तापमान पर वाष्प में बदलने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण (Evaporation) कहते हैं |
● वाष्पीकरण के पश्चात शीतलता (ठंडक) उत्पन्न होती है | 

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