● वृत्त - किसी तल पर स्थित उन सभी बिंदुओं के समूह, जो तल के एक स्थिर बिंदु से समान दुरी पर स्थिर हो, को मिलाने पर एक वृत्त बनता है।
● वृत्त के अभ्यंतर में स्थिर बिंदु को वृत्त का केंद्र कहते हैं।
● त्रिज्या - वृत्त के किसी भी बिंदु को केंद्र से मिलाने वाला रेखाखंड वृत्त की त्रिज्या कहलाता है।
● व्यास - वह रेखाखंड जो वृत्त के एक बिंदु से दूसरे बिंदु को इस प्रकार मिलाये कि वह केंद्र से होकर जाता हो, को व्यास कहते हैं। दूसरे शब्दों में, व्यास त्रिज्या का दुगुना होता है।
● वृत्त के एक बिंदु से दूसरे बिंदु को मिलाने वाला रेखाखंड वृत्त की जीवा कहलाता है।
वृत्त की सबसे बड़ी जीवा उसका व्यास होती है।
● अभ्यंतर - वृत्त के अंदर के भाग को अभ्यंतर कहा जाता है।
● बहिर्भाग - वृत्त के बाहर के भाग को बहिर्भाग कहते हैं।
● वृत्त तथा अभ्यंतर मिलकर वृत्तीय क्षेत्र की रचना करते हैं।
● वृत्त पर दो बिंदुओं के बीच के भाग को चाप कहते हैं। छोटी चाप को लघु चाप और बड़ी चाप को दीर्घ चाप कहा जाता है।
● यदि वृत्त के दो बिंदु एक व्यास के दोनों सिरे हो, तो दोनों चाप बराबर होते हैं। इस प्रकार की चाप अर्धवृत्त कहलाती है।
● वृत्त की सम्पूर्ण लम्बाई को वृत्त की परिधि कहते हैं।
●वृत्तखंड - जीवा और चाप के मध्य क्षेत्र को वृत्तीय क्षेत्र का खंड या वृत्तखंड कहते हैं। छोटा वृत्तखंड लघु वृत्तखंड और बड़ा वृत्तखंड दीर्घ वृतखंड होता है।
● त्रिज्यखंड - चाप के दोनों सिरों को केंद्र से मिलाने वाली त्रिज्याओं और चाप के मध्य क्षेत्र को त्रिज्यखंड कहते हैं। छोटा त्रिज्यखंड लघु त्रिज्यखंड और बड़ा त्रिज्यखंड दीर्घ त्रिज्यखंड कहलाता है।
● वृत्त के आधे भाग को अर्धवृत्तीय क्षेत्र कहते हैं।
● वृत्त की दो बराबर जीवाएँ केंद्र पर बराबर कोण बनाती हैं। विलोमशः यदि दो जीवाओं द्वारा केंद्र पर बराबर कोण बनते हैं तो जीवाएँ भी बराबर होंगी।
● CPCT - Congruent Parts of Congruent Triangles (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)
● वृत्त की किसी भी जीवा पर केंद्र से डाला गया लंब जीवा को समद्विभाजित करता है। विलोमशः किसी जीवा को समद्विभाजित करने के लिए केंद्र से जीवा पर खींची गई रेखा जीवा पर लंब होती है।
● तीन असंरेखीय बिंदुओं से होकर जाने वाला केवल एक वृत्त सम्भव है।
● एक त्रिभुज ABC के बिंदुओं की सहायता से खींचा गया अद्वितीय वृत्त, त्रिभुज ABC का परिवृत्त कहलाता है। इस वृत्त की त्रिज्या और केंद्र को क्रमशः परित्रिज्या और परिकेंद्र कहते हैं।
● एक बिंदु से किसी रेखा पर लंब की लंबाई रेखा की बिंदु से दूरी होती है।
● एक वृत्त या सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाएँ केंद्र से समान दूरी पर होती हैं। विलोमशः वृत्त के केंद्र से समान दूरी पर स्थित जीवाओं की लंबाई समान होती है।
● एक वृत्त की दो जीवाओं की लंबाई समान हो, तो उनके संगत चाप सर्वांगसम होते हैं। विलोमशः यदि दो चाप सर्वांगसम हो, तो संगत जीवाओं की लंबाई समान होगी।
● किसी वृत्त के सर्वांगसम/बराबर चाप केंद्र पर बराबर कोण बनाते हैं।
● एक चाप द्वारा केंद्र पर बना कोण वृत्त के शेष भाग के किसी बिंदु पर बने कोण का दोगुना होता है।
● एक ही वृत्तखंड के कोण बराबर होते हैं।
●अर्धवृत्त का कोण समकोण होता है।
● अगर दो बिंदुओं को जोड़ने वाला रेखाखंड, उसको अंतर्विष्ट करने वाली रेखा के एक ही तरफ स्थित दो अन्य बिंदुओं पर बराबर कोण बनाये तो चारों बिंदु एक ही वृत्त पर स्थित होते हैं अर्थात चक्रीय होते हैं।
● वृत्त के अभ्यंतर में स्थिर बिंदु को वृत्त का केंद्र कहते हैं।
● त्रिज्या - वृत्त के किसी भी बिंदु को केंद्र से मिलाने वाला रेखाखंड वृत्त की त्रिज्या कहलाता है।
● व्यास - वह रेखाखंड जो वृत्त के एक बिंदु से दूसरे बिंदु को इस प्रकार मिलाये कि वह केंद्र से होकर जाता हो, को व्यास कहते हैं। दूसरे शब्दों में, व्यास त्रिज्या का दुगुना होता है।
● वृत्त के एक बिंदु से दूसरे बिंदु को मिलाने वाला रेखाखंड वृत्त की जीवा कहलाता है।
वृत्त की सबसे बड़ी जीवा उसका व्यास होती है।
● अभ्यंतर - वृत्त के अंदर के भाग को अभ्यंतर कहा जाता है।
● बहिर्भाग - वृत्त के बाहर के भाग को बहिर्भाग कहते हैं।
● वृत्त तथा अभ्यंतर मिलकर वृत्तीय क्षेत्र की रचना करते हैं।
● वृत्त पर दो बिंदुओं के बीच के भाग को चाप कहते हैं। छोटी चाप को लघु चाप और बड़ी चाप को दीर्घ चाप कहा जाता है।
● यदि वृत्त के दो बिंदु एक व्यास के दोनों सिरे हो, तो दोनों चाप बराबर होते हैं। इस प्रकार की चाप अर्धवृत्त कहलाती है।
● वृत्त की सम्पूर्ण लम्बाई को वृत्त की परिधि कहते हैं।
●वृत्तखंड - जीवा और चाप के मध्य क्षेत्र को वृत्तीय क्षेत्र का खंड या वृत्तखंड कहते हैं। छोटा वृत्तखंड लघु वृत्तखंड और बड़ा वृत्तखंड दीर्घ वृतखंड होता है।
● त्रिज्यखंड - चाप के दोनों सिरों को केंद्र से मिलाने वाली त्रिज्याओं और चाप के मध्य क्षेत्र को त्रिज्यखंड कहते हैं। छोटा त्रिज्यखंड लघु त्रिज्यखंड और बड़ा त्रिज्यखंड दीर्घ त्रिज्यखंड कहलाता है।
● वृत्त के आधे भाग को अर्धवृत्तीय क्षेत्र कहते हैं।
● वृत्त की दो बराबर जीवाएँ केंद्र पर बराबर कोण बनाती हैं। विलोमशः यदि दो जीवाओं द्वारा केंद्र पर बराबर कोण बनते हैं तो जीवाएँ भी बराबर होंगी।
● CPCT - Congruent Parts of Congruent Triangles (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)
● वृत्त की किसी भी जीवा पर केंद्र से डाला गया लंब जीवा को समद्विभाजित करता है। विलोमशः किसी जीवा को समद्विभाजित करने के लिए केंद्र से जीवा पर खींची गई रेखा जीवा पर लंब होती है।
● तीन असंरेखीय बिंदुओं से होकर जाने वाला केवल एक वृत्त सम्भव है।
● एक त्रिभुज ABC के बिंदुओं की सहायता से खींचा गया अद्वितीय वृत्त, त्रिभुज ABC का परिवृत्त कहलाता है। इस वृत्त की त्रिज्या और केंद्र को क्रमशः परित्रिज्या और परिकेंद्र कहते हैं।
● एक बिंदु से किसी रेखा पर लंब की लंबाई रेखा की बिंदु से दूरी होती है।
● एक वृत्त या सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाएँ केंद्र से समान दूरी पर होती हैं। विलोमशः वृत्त के केंद्र से समान दूरी पर स्थित जीवाओं की लंबाई समान होती है।
● एक वृत्त की दो जीवाओं की लंबाई समान हो, तो उनके संगत चाप सर्वांगसम होते हैं। विलोमशः यदि दो चाप सर्वांगसम हो, तो संगत जीवाओं की लंबाई समान होगी।
● किसी वृत्त के सर्वांगसम/बराबर चाप केंद्र पर बराबर कोण बनाते हैं।
● एक चाप द्वारा केंद्र पर बना कोण वृत्त के शेष भाग के किसी बिंदु पर बने कोण का दोगुना होता है।
● एक ही वृत्तखंड के कोण बराबर होते हैं।
●अर्धवृत्त का कोण समकोण होता है।
● अगर दो बिंदुओं को जोड़ने वाला रेखाखंड, उसको अंतर्विष्ट करने वाली रेखा के एक ही तरफ स्थित दो अन्य बिंदुओं पर बराबर कोण बनाये तो चारों बिंदु एक ही वृत्त पर स्थित होते हैं अर्थात चक्रीय होते हैं।
All Chapters Notes in Hindi Maths Class 9th
अध्याय - 1 संख्या पद्धति
अध्याय - 2 बहुपद
अध्याय - 3 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण
अध्याय 5 यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय
अध्याय 6 रेखाएँ और कोण
अध्याय 7 त्रिभुज
अध्याय 8 चतुर्भुज
अध्याय 9 समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 हीरोन का सूत्र
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
अध्याय - 2 बहुपद
अध्याय - 3 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण
अध्याय 5 यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय
अध्याय 6 रेखाएँ और कोण
अध्याय 7 त्रिभुज
अध्याय 8 चतुर्भुज
अध्याय 9 समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल
अध्याय 10 वृत्त
अध्याय 11 रचनाएँ
अध्याय 12 हीरोन का सूत्र
अध्याय 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
अध्याय 14 सांख्यिकी
अध्याय 15 प्रायिकता
Umanand kumar bharti
जवाब देंहटाएंवृत्त के केंद्र को एक चाप से मिलाने वाली त्रिज्याओं एवं चाप के बीच के क्षेत्र को कहते है
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